छत्तीसगढ़ी और भोजपुरी लोकगीतों में लोकजीवन के सामाजिक यथार्थ और जनचेतना प्रसार की भूमिका का विवेचनात्मक अध्ययन
Keywords:
लोकगीत, लोकजीवन, सामाजिक यथार्थ, जनचेतना प्रसार,सांस्कृतिक साम्यता और भिन्नताएँ।Abstract
छत्तीसगढ़ी लोकगीतों में आदिवासी-किसान जीवन की कठिनाइयाँ, उत्सव-प्रेम-उल्लास, प्रकृति-संघर्ष और सामाजिक समानता की भावना प्रमुख हैं, जबकि भोजपुरी लोकगीत श्रम, प्रेम, जाति-व्यवस्था और प्रवास की वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करते हैं। छत्तीसगढ़ और भोजपुरी लोकगीतों में बहुत सारी समानताएं भी है और भौगोलिक एवं क्षेत्रीय कारणों से कुछ असमानताएं भी हैं किन्तु ये लोकगीत न केवल सामाजिक विसंगतियों का प्रतिबिंब हैं, बल्कि जनजागरण का मजबूत माध्यम भी हैं। जिसका मुख्य स्वर सामाजिक यथार्थ और जनचेतना का प्रभावशाली प्रसार करना है।
