बस्तर मे नल वंश का राजनीतिक इतिहास तथा धार्मिक व सांस्कृतिक आस्थागत प्रवाह
Keywords:
बस्तर, नल वंश , राजनीतिक इतिहास, धार्मिक, सांस्कृतिकAbstract
यह शोधपत्र बस्तर अंचल में नल वंश के राजनीतिक इतिहास तथा धार्मिक एवं सांस्कृतिक आस्थागत प्रवाह का विश्लेषणात्मक अध्ययन प्रस्तुत करता है। चौथी से छठी शताब्दी के मध्य नल शासकों ने दक्षिण कोशल क्षेत्र विशेषतः बस्तर में एक सशक्त और स्वतंत्र सत्ता स्थापित की जिसके प्रमाण शिलालेखों, मुद्रा-सामग्रियों एवं पुरातात्विक अवशेषों के माध्यम से प्राप्त होते हैं। इस वंश के प्रमुख शासकों, वीर पुरुष नल, भूतनंदिन तथा स्कंदवर्मन ने प्रशासनिक सुव्यवस्था के साथ-साथ शैव धर्म की संस्थागत परंपराओं को सुदृढ़ किया। उन्होंने मंदिर निर्माण, तीर्थ केंद्रों के संरक्षण तथा शैव-धार्मिक संस्कारों को प्रोत्साहन देकर क्षेत्र में धार्मिक सांस्कृतिक चेतना का विस्तार किया। बस्तर की जनजातीय परंपराओं और नल शासन की ब्राह्मणवादी सांस्कृतिक संरचना के मध्य जो अंतःप्रवाही संवाद उत्पन्न हुआ उसने क्षेत्रीय धार्मिक आस्था को एक विशिष्ट स्वरूप प्रदान किया। यह अध्ययन प्राचीन अभिलेखों, साहित्यिक स्रोतों और पुरातात्विक साक्ष्यों के आलोक में बस्तर में नल वंश की ऐतिहासिक उपस्थिति तथा धार्मिक-सांस्कृतिक योगदान को पुनःस्थापित करने का प्रयास करता है।