काव्य स्वरूप विमर्श: व्यापार प्रबंधन में सांस्कृतिक संवेदना और नेतृत्व की भूमिका

Authors

  • विवेक मिश्रा Author

Keywords:

सांस्कृतिक संवेदना, नेतृत्व, व्यापार प्रबंधन, भारतीय साहित्य, नैतिक मूल्य, संगठनात्मक व्यवहार, नीति काव्य, अंतर्विषयी अध्ययन, काव्य विमर्श

Abstract

यह शोधपत्र काव्य स्वरूप विमर्श के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों और नेतृत्व की अवधारणाओं को आधुनिक व्यापार प्रबंधन के संदर्भ में विश्लेषित करता है। काव्य न केवल भावों की अभिव्य (रामचरित मानस, 1576)क्ति है, बल्कि वह लोक-संवेदना, नैतिक मूल्यों, तथा नेतृत्व के आदर्शों का भी संवाहक है। इसमें विशेष रूप से यह अध्ययन किया गया है कि किस प्रकार काव्य-साहित्य — विशेषतः महाकाव्य, उपदेशात्मक काव्य, नीति-साहित्य आदि — भारतीय परंपरा में सांस्कृतिक संवेदना का वाहक रहा है, और यह कैसे नेतृत्व कौशल, नैतिक निर्णय-निर्माण, तथा संगठनात्मक व्यवहार को प्रभावित करता है।

शोध का मुख्य उद्देश्य व्यापार प्रबंधन के क्षेत्र में निर्णय-निर्माण, प्रेरणा, सहयोग, तथा मूल्य-आधारित नेतृत्व को काव्यिक विमर्श के माध्यम से समझना है। अध्ययन में यह निष्कर्ष निकाला गया है कि भारतीय काव्यधारा — जैसे रामायण, महाभारत, हितोपदेश, नीतिशतक आदि — में निहित सांस्कृतिक बोध और नैतिक उपदेश आज के प्रबंधन सिद्धांतों में नैतिकता, सहअस्तित्व और नेतृत्व की दृष्टि से अत्यंत प्रासंगिक हैं।

यह शोध पारंपरिक साहित्यिक अध्ययन को प्रबंधन विज्ञान से जोड़ते हुए एक अंतर्विषयी (interdisciplinary) दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है, जो नेतृत्व विकास, कार्यस्थल संस्कृति और सामाजिक उत्तरदायित्व जैसे आधुनिक व्यापारिक पहलुओं को सांस्कृतिक गहराई प्रदान करता है।

Author Biography

  • विवेक मिश्रा

    शोध छात्र, फैकल्टी आफ मैनेजमेंट स्टडीज, लखनऊ विश्वविद्यालय

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Published

2025-08-04

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Section

Articles

How to Cite

काव्य स्वरूप विमर्श: व्यापार प्रबंधन में सांस्कृतिक संवेदना और नेतृत्व की भूमिका. (2025). Shodh Patra : International Journal of Multidisciplinary Studies, 2(1), 357-369. https://shodhpatra.in/index.php/files/article/view/65

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