द्वारिका प्रसाद तिवारी ‘विप्र’ के साहित्य में छत्तीसगढ़ी लोकजीवन का मूल्यांकनपरक अध्ययन
Keywords:
छत्तीसगढ़ी लोकजीवन, लोकभाषा, लोकसंगीत, कृषक संस्कृति, लोक यथार्थ।Abstract
द्वारिका प्रसाद तिवारी ‘विप्र’ को छत्तीसगढ़ी साहित्य का अग्रदूत माना जाता है, जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से छत्तीसगढ़ की लोक-संस्कृति, ग्रामीण जीवन, त्योहारों, रीति-रिवाजों और सामाजिक मूल्यों को जीवंत रूप प्रदान किया। यह अध्ययन उनके जीवन, कृतियों और लोक-तत्वों के विश्लेषण पर आधारित है
विप्र जी छत्तीसगढ़ के उन विरले साहित्यकारों में से हैं जिन्होंने अपने लेखन के माध्यम से लोकजीवन की आत्मा को शब्दों में ढाला। उनके साहित्य में छत्तीसगढ़ की संस्कृति, लोकसंस्कार, आस्था, लोकगीत, रीति-रिवाज, और ग्राम्य परिवेश के विविध रंगों का अद्भुत समन्वय दिखाई देता है। प्रस्तुत शोध में ‘विप्र’ के साहित्य में छत्तीसगढ़ी लोकजीवन का बहुआयामी मूल्यांकन किया गया है, जिसमें सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और नैतिक पक्षों का विश्लेषण किया गया है।
