वैदिक यज्ञ संस्कार
Keywords:
वैदिक, यज्ञ संस्कार, सूक्ष्मवाद सिद्धांतAbstract
यज्ञ मे द्रव्य विधिवत अग्नि मे होमकर उसे सूक्ष्म रूप से परिणित किया जाता है। अग्नि मे डाली हुई वस्तु का स्थलांश भस्म रूप पृथ्वी पर रह जाता है। स्थूल सूक्ष्म उभय-मिश्रित भाग धूम्र बनकर अंतरिक्ष में व्याप्त हो जाता है, जो अंततोगत्वा मेघरूप में परिणत होकर धूलोकस्थ देवगण को परितृत्त करता है। स्थल-सूक्ष्मवाद सिद्धांत के अनुसार प्रत्येक अंशी तक पहुंचकर ही रहता है। जल कही भी हो, उसका प्रवाह आखिरकार अपने उद्गमस्थल समुद्र में पहुंचे बिना दम नही लेता।
