संघर्षपूर्ण कहानी : महान ओलंपियन हॉकी खिलाड़ी सुमित कुमार वाल्मीकि

Authors

  • डॉ. रविन्द्र कुमार Author Author

Keywords:

ओलंपियन, हॉकी खिलाड़ी, एशियाई खेल, निष्ठावान, आज्ञाकारी, मेहनती ।

Abstract

खेल हमारे जीवन के लिए बहुत उपयोगी है। खेल कई नियमों एव रिवाजो द्वारा संचालित होने वाली एक प्रतियोगी गतिविधि है। यह हमारे शरीर, मस्तिष्क को स्वस्थ रखता है। शारीरिक गतिविधियों में शामिल होने के लिए खेल सबसे अच्छा तरीका है। खेल के खेलने से हमारा शारीरिक स्वास्थ्य सुधरता है और हमें ऊर्जा मिलती है। यह हमारे मानसिक तनाव को काम करता है और हमें खुश रखता है। खेल खिलाड़ियों के लिए राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय स्तर पर बहुत अच्छा अवसर प्रदान करता है। कुछ देशों में कुछ अवसरों, कार्यक्रमों और त्योहार के आयोजन पर खेल गतिविधियां करवाई जाती है। खेल व्यक्ति के जीवन में, विशेष रूप से विद्यार्थियों के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। खेलों में निमित्त रूप से शामिल होने वाले व्यक्ति शारीरिक व मानसिक रूप से तंदुरुस्त मिलते हैं। वह अपना कार्य बिना थकावट के बड़ी आसानी से कर पाने में सक्षम होते हैं। खेल व्यक्ति को तनाव चिंता नशा आदि से मुक्ति प्रदान करता है। यह खिलाड़ियों के लिए भविष्य और पेशेवर जीवन का क्षेत्र प्रधान करता है। यह खिलाड़ियों को उनके नाम प्रसिद्ध और धन देने की क्षमता रखता है। आज मे जिस खिलाड़ी के विषय में आपको बताना चाहता हूं वह खिलाड़ी अपने हॉकी के क्षेत्र में एक महान मुकाम हासिल कर चुका है। इस खिलाड़ी का नाम है सुमित कुमार वाल्मीकि है। यह एक मिडफील्डर खिलाड़ी है जो बड़ी ईमानदारी, कठिन परिश्रम से देश को पदक दिलाने के लिए जी जान लग रहा है। इन्होंने अपने जीवन में संघर्ष के बल पर अपने आप को साबित किया है और आज हॉकी के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई है। यदि हम कुछ पलों के लिए इतिहास की ओर देखें या किसी सफल व्यक्ति के जीवन पर प्रकाश डाले तो हम देखते हैं कि नाम प्रसिद्धि और धन आसानी से प्राप्त नहीं होते हैं। इसके लिए बड़ी लगन, नियमितता, व्यायाम, धैर्य, अनुशासन, कठिनपरिश्रमशामिलहोताहै।

Author Biography

  • डॉ. रविन्द्र कुमार, Author

    Assistant Professor

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Published

2025-03-25

How to Cite

संघर्षपूर्ण कहानी : महान ओलंपियन हॉकी खिलाड़ी सुमित कुमार वाल्मीकि. (2025). Shodh Patra : International Journal of Multidisciplinary Studies, 2(1), 47-55. https://shodhpatra.in/index.php/files/article/view/11

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